बात बेबात की बात करता है,
रातें जलाता है,
बेमतलब हंसता है,
बड़ा ज़ाहिल है इश्क़ मेरा |
दामन छोड़ के य़ू उठ चला,
न सोचा न समझा,
ऐसी अल्लहड़ सी बातें करता है,
बड़ा ज़ाहिल है इश्क़ मेरा |
मेरे हिस्से का नशा सितारों को पिलाता है,
वो नीला आसमां भला कितना ऊपर जाएगा,
देखो बावरा सा दिल मेरा,
बड़ा ज़ाहिल है इश्क़ मेरा |
From the writer of : चाय की थड़ी से
Ajay Singh Rathore
Y09 Undergraduate, The LNMIIT
Y09 Undergraduate, The LNMIIT
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