Thursday 16 January 2014

जीना है अब हँसते गाते

यह  दिल  की  जंजीरों ने मुझे ऐसा जकड़ा 
की  खुद  को  खुद  से  बचा  नहीं  पाया 
दिन  भर  की  मशक़त्तो  के बाद  खुद  को खोखला  ही  पाया

क्या  करू में इस दिल का जो खुद ही  करवटे  लेता है 
तपते सूरज , सर्द  हवा  में भी उसे  पाने  के  सपने देखता है

 दिल तू मान भी जा 
तू जिसे चाहता है वो ईद  का चाँद  है

 नुमाइश भी क्या करू  उसकी  
जिसे मन मर्जी पर गुमान  है

अब एहसास  हुआ की दिल  खाली  पतीला  रह  गया 
खनखनाते  खनखनाते  चीखों में दब  गया


आज  गिर  कर भी नहीं  संभाला की तेरी याद ने  झुलसा  दिया 
जैसे  एक  प्यासे  को  भरे  कुए  ने पानी  के  तरसा  दिया

अब तोह खून भी  बेहने  के लिए रास्ते तलाशता है 
आवाज भी आहट  बन कर गुम हो जाती  है 
अपने अस्तित्व पर शक होता है 
पर तभी एक आवाज  कुछ  बताती है

' आशिक 
माना  की प्यार जीवन में एक बार ही होता है 
पर उसे खोने दर्द से अच्छा  तो पीने के पानी में जहर होता है '

आज जो  दर्द में  बहा 'तो उभर नहीं  पाऊंगा 
अपने लिए नहीं तो दुसरो के लिए जीना नहीं सीख पाऊंगा 
अब बस  मारा ही नहीं  हूँ  ,इस प्यार को पाते पाते 
जीना है अब हँसते गाते 
हँसते गाते



Y12 Undergraduate, The LNMIIT  

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