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Tuesday, 24 November 2015

Beat

When the sun shines bright
Above my head in the sky
I can feel its warmth inside
It feels sweet like a pie
Cause it reminds me of your face
Every inch glittering with divine grace
Grace that makes even stars shy


With a heart of shimmering gold
And beauty that angels can't defy
Tempting to touch you and hold
Hope one day our hearts meet
Rhyming together in one beat!


Y15 Undergraduate, The LNMIIT

Thursday, 25 September 2014

बेबसी




दिल को खलता है ये शुष्क-कोरा कागज,
पर इसे अल्फाज़ो में भिगौना अच्छा नहीं लगता | 

हर लम्हे को फुरसत से जीना चाहता हुँ | 
पर इस जहाँ में इक पल बिताना अब अच्छा नहीं लगता | 


लफ्ज़, लबों से बाहर निकलने की मशक्कत करते है,
पर उन्हें आवाज़ में पिरौना अब अच्छा नहीं लगता | 

मय से इक रूहानी सुकूं मिलता है,
पर न जाने क्यों मैख़ाने में जाना अब अच्छा नहीं लगता | 


उसे अपलक निहारने की अज़ीब सी दिल्लगी रहती है,
पर उन तंग गलियों में जाना अब अच्छा नहीं लगता | 


उनके खयालो में खोया रहना चाहता हुँ,
पर यूं बेवजह रात-रात भर रोना अब अच्छा नहीं लगता | 



Aniruddh Nandwana
Y13 Undergraduate, The LNMIIT

Wednesday, 5 February 2014

Dreadful Times


And in these dreadful times, 
I walk along the obscure lines
To find the path ahead all alone
The journey of pains and of unknown
I need a hand to hold with mine
I need it, can you give me thine?

Or else, without a word just leave
I promise, I won't anymore grieve.
This life I thought was me and you
But now I realize, it was not all true.
I need to rise above and all,
Because to seek myself, this life is very small.


Mohit Taneja
Y11 Undergraduate, The LNMIIT

Monday, 20 January 2014

बड़ा ज़ाहिल है इश्क़ मेरा



बात बेबात की बात करता है,
रातें जलाता है,
बेमतलब हंसता है,
बड़ा ज़ाहिल है इश्क़ मेरा | 

दामन छोड़ के य़ू उठ चला,
न सोचा न समझा,
ऐसी अल्लहड़ सी बातें करता है,
बड़ा ज़ाहिल है इश्क़ मेरा | 

मेरे हिस्से का नशा सितारों को पिलाता है,
वो नीला आसमां भला कितना ऊपर जाएगा,
देखो बावरा सा दिल मेरा,
बड़ा ज़ाहिल है इश्क़ मेरा |


Ajay Singh Rathore
Y09 Undergraduate, The LNMIIT

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Thursday, 16 January 2014

जीना है अब हँसते गाते

यह  दिल  की  जंजीरों ने मुझे ऐसा जकड़ा 
की  खुद  को  खुद  से  बचा  नहीं  पाया 
दिन  भर  की  मशक़त्तो  के बाद  खुद  को खोखला  ही  पाया

क्या  करू में इस दिल का जो खुद ही  करवटे  लेता है 
तपते सूरज , सर्द  हवा  में भी उसे  पाने  के  सपने देखता है

 दिल तू मान भी जा 
तू जिसे चाहता है वो ईद  का चाँद  है

 नुमाइश भी क्या करू  उसकी  
जिसे मन मर्जी पर गुमान  है

अब एहसास  हुआ की दिल  खाली  पतीला  रह  गया 
खनखनाते  खनखनाते  चीखों में दब  गया


आज  गिर  कर भी नहीं  संभाला की तेरी याद ने  झुलसा  दिया 
जैसे  एक  प्यासे  को  भरे  कुए  ने पानी  के  तरसा  दिया

अब तोह खून भी  बेहने  के लिए रास्ते तलाशता है 
आवाज भी आहट  बन कर गुम हो जाती  है 
अपने अस्तित्व पर शक होता है 
पर तभी एक आवाज  कुछ  बताती है

' आशिक 
माना  की प्यार जीवन में एक बार ही होता है 
पर उसे खोने दर्द से अच्छा  तो पीने के पानी में जहर होता है '

आज जो  दर्द में  बहा 'तो उभर नहीं  पाऊंगा 
अपने लिए नहीं तो दुसरो के लिए जीना नहीं सीख पाऊंगा 
अब बस  मारा ही नहीं  हूँ  ,इस प्यार को पाते पाते 
जीना है अब हँसते गाते 
हँसते गाते



Y12 Undergraduate, The LNMIIT