यह दिल की जंजीरों ने मुझे ऐसा जकड़ा
की खुद को खुद से बचा नहीं पाया
दिन भर की मशक़त्तो के बाद खुद को खोखला ही पाया丨
क्या करू में इस दिल का जो खुद ही करवटे लेता है
तपते सूरज , सर्द हवा में भी उसे पाने के सपने देखता है 丨
ऐ दिल तू मान भी जा
तू जिसे चाहता है वो ईद का चाँद है
नुमाइश भी क्या करू उसकी
जिसे मन मर्जी पर गुमान है 丨
अब एहसास हुआ की दिल खाली पतीला रह गया
खनखनाते खनखनाते चीखों में दब गया 丨
आज गिर कर भी नहीं संभाला की तेरी याद ने झुलसा दिया
जैसे एक प्यासे को भरे कुए ने पानी के तरसा दिया丨
अब तोह खून भी बेहने के लिए रास्ते तलाशता है
आवाज भी आहट बन कर गुम हो जाती है
अपने अस्तित्व पर शक होता है
पर तभी एक आवाज कुछ बताती है 丨
'ऐ आशिक
माना की प्यार जीवन में एक बार ही होता है
पर उसे खोने क दर्द से अच्छा तो पीने के पानी में जहर होता है '丨
आज जो दर्द में बहा 'तो उभर नहीं पाऊंगा
अपने लिए नहीं तो दुसरो के लिए जीना नहीं सीख पाऊंगा
अब बस मारा ही नहीं हूँ ,इस प्यार को पाते पाते
जीना है अब हँसते गाते
हँसते गाते 丨
Y12 Undergraduate, The LNMIIT