बोल दो यही नारा है मेरे जीवन का,
जीवन पर्यंत मै ध्वनि का सूचक हूँ
रोको ना अपने विचारो को, उन्हें आज निकल जाने दो,
देख ले यह सम्पूर्ण जगत तुम्हारे साहस को और सुन ले तुम्हारे मन को,
कई युगों से मुझे तुमने अपने मुख के अधीन बांध रखा है,
कई युगों से मेरा जीवन तुम्हारे विचारो का गुलाम रहा है,
कई नेता,अभिनेता, मित्र, शत्रु आये और मेरे कंठ को अपने मन के स्वरों से सुशोभित कर चले गए,
मैं अपने दिल में कुंठा लेकर बैठा हूँ
जिस शक्ति पर मुझे नाज़ था, उसका तुमने दुरुपयोग किया, युद्ध, दंगो में मुझे इस्तेमाल किया,
गाँधी ने मुझमें जब जान डाली थी,
हिटलर ने जब मेरे प्राण निकाले थे,
तब नेहरु सुभाष और चर्चिल ने मुझमें धैर्य बांधा था
बोल दो यही नारा है मेरे जीवन का |
मेरी एक आवाज़ पर जब लाखो माँओ ने अपने सपूतो को अपनी माँ पर वार दिया,
मेरा जीवन धन्य हुआ,
मुझे याद है वो आज़ादी की पहली आवाज़ जब नेहरु ने मुझे मेरे होने पर गर्व कराया था,
मैं भारत नही विश्व भर में पाया जाता हूँ ,
लोग चिल्लाते बहुत है और मैं हर दूसरी दूकान से ख़रीदा जाता हूँ,
सत्संग में कुसंग मै फैलाता हूँ ,
हर इंसान को लहू का प्यासा बनाता हूँ,
रेलगाड़ी जलवाता हु, शांति के स्वर में अशांति का प्रकोप फैलाता हूँ,
थक गया हु फिर भी चीखता चिल्लाता अपने तारों की मार्मिक स्थिति से हर बार यही गाता हूँ,
बोल दो यही नारा है मेरे जीवन का |
ये सच नहीं की मैं रोता नहीं , बस तालियों की गूंज में सहम सा जाता हूँ,
मै दोष नही देता मेरे चाहने वालो को,
दोष तो मेरे ह्रदय का है जो शब्दों की अगणित माला बुन जाता है,
यह शब्दों का जाल मेरे जीवन का जंजाल हुआ,
विचारो की माला को मैंने अपने ह्रदय से सुशोभित किया,
भूल गए थे जो गाँधी को उनको मैंने जंतर मंतर पर याद किया,
नही थकेगा नही थमेगा यही जीवन संकल्प लिया,
बोल दो यही नारा है मेरे जीवन का |
दूर देश-विदेश तुमको ले जाऊँगा, विवेकानंद के मुख से गीता का रस पिलाऊंगा,
सत्य अहिंसा और बलिदानों को सार्थक कर जाऊँगा,
बोल दो यही नारा है मेरे जीवन का,
इस नारे की परिभाषा को सत्य अटल कर जाऊँगा ,
एक बार नही सौ बार चिल्लाऊंगा,
"सत्यमेव जयते", जब तक तुम नहीं कहते,
तब तक अपने रोम रोम से यही कहता चला जाऊँगा,
बोल दो यही नारा है मेरे जीवन का |
न थकूँगा
बोल दो यही नारा है मेरे जीवन का,
न थमूंगा
बस यही कहूँगा "सत्यमेव जयते" ||
Vivek Sharma
PG Scholar, The LNMIIT